Monday, February 16, 2009

''जिन्दगी''


क्या-क्या रंग दिखाती है जिन्दगी,
अपने बिछ्डो की याद दिलाती है जिन्दगी!

रो- रो कर भी हँसना सिखाती हैं जिन्दगी,
फूलो में रहकर कांटो पर चलना सिखाती है जिन्दगी!

बेगानों को भी अपना बनाती है जिन्दगी,
दूर रहकर भी पास होने का एहसास कराती है जिन्दगी!

एक पल में हजार रंग दिखाती है जिन्दगी,
कभी पतझड़ कभी गुलशन बन जाती है जिन्दगी!

फूलो की तरह मुरझाती है जिन्दगी,
तितली की तरह उड़ जाती है जिन्दगी!

गिरगिट की तरह रंग बदल जाती है जिन्दगी,
क्यो न इसे जिया जाय,
क्योकि सब कुछ खोकर भी जीना सिखाती है जिन्दगी.....

Monday, February 9, 2009

''एहसास''


दूर होकर पास हो तुम,
रेशमी एहसास हो तुम!

प्यासी रे गिरताप की मैं,
तृप्ति का आभास हो तुम!

शब्द लगते छंद जैसे,
गति का विन्यास हो तुम!

कुछ तो,कुछ तो बात है जो,
ख़ास में भी ख़ास हो तुम!

जेष्ठ की हूँ दोपहर मैं,
और श्रावन मास हो तुम!

साधना होगी सफल मेरी,
एक ऐसी आस हो तुम !

फूल घाटी मधुबन की,
वास का आभास हो तुम!

मौन प्रतिमा सी हूँ मैं,
यूँ मुखर बिंदास हो तुम!

क्या भला अस्तित्व तुम बिन,
क्योकि मेरी साँस हो तुम!!

Saturday, February 7, 2009

''फरेब ऐ नज़र''


तू चाहे मुझे ऐसी किस्मत कहाँ थी,
कहाँ मैं कहाँ तू ये निस्बत कहाँ थी !

तेरी बेरुखी सहे ये दिल मजबूर था,
मेरा हाल जाने तू तुझे फुर्सत कहाँ थी!

मेरी चाहतो की तुझे क्या ख़बर थी,
तू सोचे मुझे ये तेरी फितरत कहाँ थी!

तुझे अपने मन से निकालू तो कैसे,
मैं पा लू तुझे ये मेरी किस्मत कहाँ थी!

जो बन जाता मेरा कहीं हमसफ़र तू,
भला ऐसी अपनी किस्मत कहाँ थी!

जिसे सुनकर तुने मुंह फेर लिया,
ये तो अर्जी थी मेरी शिकायत कहाँ थी!

तू जो कुछ भी था एक बहम था,
फरेब ऐ नज़र था हकीक़त कहाँ थी........

Thursday, February 5, 2009

''यादे''


आज बहुत दिनों बाद मन में ये ख़याल आया !

क्या कोई इतना भी अपना हो सकता है,
कि ये दिल उसकी यादो को ही चुरा लाया!

कभी गमो में डुबोकर रुलाया,
कभी मीठी यादो ने आकर हँसाया!

इन यादो ने सबको पागल बनाया,
इसने हर इंसान के दिल को रुलाया!

आंसुओ कि ताबीर पर भी इसने शमा को जलाया,
ये यादो के परवाने तुने किस किस को न अपना बनाया!